अमावश का श्रींगार
अमावश का श्रींगार ..करलें सभी दीदार मिलता रहे दीदार श्याम, तेरा मिलता रहे .. मिलता रहे तेरा प्यार,श्याम मुझे मिलता रहे मिलता रहे,मिलता रहे ..... याद करूँ मैं जब भी तुमको,आना देना दर्शन मुझको आये जो भी दर पर तेरे,दर्शन देना बाबा सबको ..... रहे सुखी संसार,प्यार तेरा मिलता रहे ............... मिलता रहे,मिलता रहे ... मिलता रहे दीदार श्याम, तेरा मिलता रहे .. मिलता रहे तेरा प्यार,श्याम मुझे मिलता रहे मिलता रहे,मिलता रहे ..... दर पर तेरे वो ही आते,जिनको बाबा आप बुलाते .. किस्मत वाले वो तो होते,भर झोली दर से जो जाते करना नहीं इनकार,प्यार तेरा मिलता रहे ....... मिलता रहे,मिलता रहे .... मिलता रहे दीदार श्याम, तेरा मिलता रहे .. मिलता रहे तेरा प्यार,श्याम मुझे मिलता रहे मिलता रहे,मिलता रहे ..... ''टीकम'तो दरबारी तेरा,चौखट पे तेरे रहे बसेरा ... फरमाओगे जो भी मुझको,झुका रहेगा सर यह मेरा बोलूंगा जयकार,प्यार तेरा मिलता रहे ............ मिलता रहे,मिलता रहे मिलता रहे दीदार श्याम, तेरा मिलता रहे .. मिलता रहे तेरा प्यार,श्याम मुझे मिलता रहे मिलता रहे,मिलता रहे ..... जय हो श्री श्याम सरकार की जय हो लखदातार की |
दरबार तेरा ओ श्याम,खुशियों का खजाना है
दरबार तेरा ओ श्याम,खुशियों का खजाना है मिलता जो शकुन यहाँ,कहीं और न जाना है आया जो पहली बार,दर पर तेरे ओ श्याम जग में चर्चा तेरी, सुन कर तेरा मैं नाम... देखा जबसे तुझे श्याम, दिल तेरा दीवाना है मिलता जो शकुन यहाँ,कहीं और न जाना है दरबार तेरा ओ श्याम,खुशियों का खजाना है मिलता जो शकुन यहाँ,कहीं और न जाना है मस्ती जो बरस रही,मस्ती में मैं खोया नाच उठा मेरा मन,जागा जो था सोया भक्ति का दीप यह श्याम,घर-घर में जगाना है मिलता जो शकुन यहाँ, कहीं और न जाना है.. दरबार तेरा ओ श्याम,खुशियों का खजाना है मिलता जो शकुन यहाँ,कहीं और न जाना है जहाँ दीप जगे आना,जगे ज्योति तुम्हारी श्याम गुण गान करूँ तेरा, रस पान करूँ मैं श्याम....... रस भक्ति का तुझे श्याम,हाथों से पिलाना है मिलता जो शकुन यहाँ,कहीं और न जाना है दरबार तेरा ओ श्याम,खुशियों का खजाना है मिलता जो शकुन यहाँ,कहीं और न जाना है एक बार नहीं कई बार,पीया न प्यास बुझे बढ़ती ही यह जाये, जब-जब मैं देखुं तुझे 'टीकम' दे दर्शन श्याम,निश दिन दर आना है मिलता जो शकुन यहाँ, कहीं और न जाना है दरबार तेरा ओ श्याम,खुशियों का खजाना है मिलता जो शकुन यहाँ,कहीं और न जाना है. |
दिल से आभार और धन्यवाद श्री महाबीर जी सर्राफ ( टीकम )